Kanupriya (कनुप्रिया) - a mesmerizing poetic story of Radha's love for Krishna and her questions, written by Dharmvir Bharati.
In the previous episode, we read Itihaas - Vipralabdha - Setu. In this episode, we are reading the fourth part - Itihaas (इतिहास) - Amangal Chhaya, Ek Prashn, Shabd (अमंगल छाया, एक प्रश्न और अर्थहीन शब्द). You can read an analysis and the script on my blog here.
धर्मवीर भारती के शब्दों में – राधा आज उसी अशोक वृक्ष के नीचे, उन्हीं मंजरियों से अपनी कंवारी मांग भरे खड़ी है - इस प्रतीक्षा में कि जब महाभारत की अवसान वेला में अपनी अठारह अक्षोहिणी सेना के विनाश के बाद निरीह, एकाकी और आकुल कृष्ण किसी भूले हुए आँचल की छाया में विश्राम पाने लौटेंगे तो वह उन्हें अपने वक्ष में शिशु सा लपेट लेगी। तो चलिए सुनते हैं कनुप्रिया का अगला हिस्सा – इतिहास - विप्रलब्धा, सेतु और आम के नीचे...
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Credits: Kanupriya book written by Dharmvir Bharati, published by: Bhartiya Jnanpeeth
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